धरती बूंद नभ सूर्योदय खो गया अस्तित्व ज़िन्दगी लगी गुनगुनाने चाहत है ताप रस किरणों तन्हा जीने लगी हूँ धरती मुस्कुराने

Hindi किरणों से लगी चोट Poems